पीपल-पत्ते
ताली बजाते, देख
बूँदों का नाच ।
***
गोघूली बेला
लौटती है रम्भाती
माँ की ममता ।
***
दिन बंजारा
फिरता है उदास
मारा-मारा ।
***
बैठी मुँडेर
मयूर-नील संझा
पाँखें पसार ।
***
कूकी जो पिकी
`छन्न' दोपहरिया
काँच-सी टूटी ।
***
काकली सुन
नीम का हरा पेड़
बजाता धुन ।
***
पीपल दादा
कहानियाँ सुनते
दिन भर की ।
***
डालता चौक
आँसू-भीगी पातियाँ
माघ डाकियाँ ।
***
पूजा को चली
लो, उषा ने सजा ली
सोने की थाली ।
***
मचा है शोर
चिड़ियाँ बस्ते खोलें
हो गई भोर ।
***
टहनी पर
लचकती चिड़ियाँ
गातीं प्रभाती ।
***
सोने की डाली
शरद-दुपहर
कपूर-घुली ।
***
पका सूरज
खेतों में फैले पड़े
गेहूँ के धान ।
***
शोख़ बोलियाँ
हवा में ठुनकतीं
बुलबुल की ।
***
नभ से गिरा
नारंगी फुटबॉल
तरु पे टँगा ।
***
फूलों से लदा
भूला होशो हवास
अमल तास ।
***
चहक रही
नोक दार पूँछ को
उठा, फुदकी ।
***
पीली चोंच ने
मारी लम्बी डुबकी
पाई मछली ।
***
बजाता फिरे
आवाज़ के घुँघरू
शकर खोरा।
***
शिशिरोत्सव
पतझर पहन
पेड़ आए हैं ।
***
-डॉ० सुधा गुप्ता
No comments:
Post a Comment